मार्च से ज्यादा सुरक्षित होंगे डेबिट और क्रेडिट कार्ड, स्विच ऑन और ऑफ करने की मिलेगी सुविधा

आरबीआई ने डेबिट, क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन को और सुरक्षित रखने के लिए नए नियम बनाए हैं। इसके तहत अब एटीएम व पीओएस पर लेन-देन डोमेस्टिक कार्ड से होगा। इसके अलावा आरबीआई ने बैंकों और कार्ड जारी करने वाली अन्य कंपनियों को निर्देश दिया कि वे अपने ग्राहकों को अपने डेबिट व क्रेडिट कार्ड को स्विच ऑन और ऑफ करने की सुविधा दें। आरबीआई ने यह भी निर्देश दिया कि फिजिकल या वर्चुअल सभी कार्ड को इश्यू या री-इश्यू करने के समय इसे सिर्फ कांटैक्ट आधारित प्वाइंट ऑफ यूज (एटीएम और प्वाइंट ऑफ सेल) पर उपयोग होने के लिए इनेबल किया जाए। साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह कदम उठाया है। नए नियम 16 मार्च से लागू होंगे।



ऑनलाइन, ऑफलाइन या कांटैक्टलेस ट्रांजेक्शन को कर सकेंगे इनेबल
आरबीआई ने एक सर्कुलर में कहा कि कार्ड इश्यू करने वाली कंपनी या बैंक को अपने कार्डहोल्डर्स को कार्ड नॉट प्रजेंट (डोमेस्टिक एवं इंटरनेशनल) ट्रांजेक्शंस, कार्ड प्रजेंट (इंटरनेशनल) ट्रांजेक्शंस और कांटैक्टलेस ट्रांजेक्शन इनेबल करने की सुविधा देनी चाहिए। कार्ड नॉट प्रजेंट का मतलब है ऑनलाइन ट्रांजेक्शन।



कई तरीकों से कार्ड को कर सकेंगे इनेबल या डिसेबल



  • आरबीआई ने कहा कि कार्ड को स्विच ऑन/ऑफ करने, ट्रांजेक्शन का लिमिट तय करने की सुविधा हर वक्त और कई माध्यमों के जरिए दिया जाए। माध्यमों में मोबाइल एप्लीकेशन, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम या इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पांस शामिल हैं।

  • आरबीआई ने कहा कि मौजूदा कार्ड में कार्ड नॉट प्रजेंट (डोमेटस्टिक और इंटरनेशनल) ट्रांजेक्शंस, कार्ड प्रजेंट (इंटरनेशनल) ट्रांजेक्शंस और कांटैक्टलेस ट्रांजेक्शन का राइट डिसेबल करना है या नहीं यह फैसला कार्ड जारी करने वाली कंपनी रिस्क परसेप्शन के आधार पर ले सकती है।

  • आरबीआई ने कहा कि अभी मौजूद जिन कार्ड्स का ऑनलाइन/इंटरनेशनल/कांटैक्टलेस ट्रांजेक्शन के लिए कभी इस्तेमाल नहीं हुआ है, उन्हें अनिवार्य तौर पर इन चीजों के लिए डिसेबल कर दिया जाए। आरबीआई का यह निर्देश हालांकि प्रीपेड गिफ्ट कार्ड और मास ट्रांजिट सिस्टम में उपयोग होने वाले कार्ड के लिए लागू करना अनिवार्य नहीं है।



लगातार बढ़ रहे बैंकिंग फ्रॉड



  • आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल लेनदेन के चलते साल 2018-19 में 71,500 करोड़ रुपए का बैंकिंग फ्रॉड हुआ है। इस अवधि में बैंक फ्रॉड के 6800 से अधिक मामले प्रकाश में आए।

  • साल 2017-18 में बैंक फ्रॉड के 5916 मामले सामने आए थे। इनमें 41,167 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी हुई थी।पिछले 11 वित्त वर्ष में बैंक फ्रॉड के कुल 53,334 मामले प्रकाश में आये हैं, जबकि इनके जरिये 2.05 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है।